Friday, September 14, 2007

पहला डाक

अभी तो सिर्फ शुरुआत है ...आगे आप इसपर बहुत कुछ पायेंगे ...देखते रहिए मेरा डगर प्रीत की :))

2 comments:

Gaurav Meena said...

after reading this i became ur fan
well i can not write that better
yet
कलियों में कभी मुस्कायेंगे
पतझर में मुरझायेंगे भी
कभी बिजली कभी रौशनी
कभी ...... कभी ......
कभी चीदियो की तरह चह्केंगे
कभी उपवन सा महकेंगे
कभी मिट्टी की तरह मिटेंगे
मिटेंगे मीटकर नया बनेंगे
कभी बादल की तरह बरसेंगे
चकोर की तरह भी हम तर्सेंगे

Gaurav Meena said...

well kya ye theek hai