after reading this i became ur fan well i can not write that better yet कलियों में कभी मुस्कायेंगे पतझर में मुरझायेंगे भी कभी बिजली कभी रौशनी कभी ...... कभी ...... कभी चीदियो की तरह चह्केंगे कभी उपवन सा महकेंगे कभी मिट्टी की तरह मिटेंगे मिटेंगे मीटकर नया बनेंगे कभी बादल की तरह बरसेंगे चकोर की तरह भी हम तर्सेंगे
2 comments:
after reading this i became ur fan
well i can not write that better
yet
कलियों में कभी मुस्कायेंगे
पतझर में मुरझायेंगे भी
कभी बिजली कभी रौशनी
कभी ...... कभी ......
कभी चीदियो की तरह चह्केंगे
कभी उपवन सा महकेंगे
कभी मिट्टी की तरह मिटेंगे
मिटेंगे मीटकर नया बनेंगे
कभी बादल की तरह बरसेंगे
चकोर की तरह भी हम तर्सेंगे
well kya ye theek hai
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