Sunday, April 20, 2008

तेरी याद

रातो को मैं सपने तेरे
बुनता हूँ
मन ही मन मैं यादे तेरी गुनता हूँ
रातो को मैं सपने तेरे बुनता हूँ .......

तेरी यादे तेरी बातें
मन के अपने प्यारे नाते
हर साँस मे तेरा नाम बसा
मैं ख़ुद की धड़कन सुनता हूँ

रातो को मैं सपने तेरे बुनता हूँ.....

बैठ मैं तारे गिनता रहता
ख़ुद ही हस्त ख़ुद से कहता
दर्द भरे इस जीवन से
अब मैं खुशिया चुनता हूँ


रातो को मैं सपने तेरे बुनता हूँ......

चाँद भी अब हस्ता है मुझपे
पागल मुझको कहता है
क्या खैर चकोर दीवाने की
जो उसकी धुन मे रहता है

रैना मैं दीवानों जैसे
प्यार मे सर को धुनता हूँ....
रातो को मैं सपने तेरे बुनता हूँ......

क्या ख़बर शमा को आशिक की
क्या ख़बर उसे दीवाने की
क्या लेना उसको ख़ाक हुई
हस्ती से एक परवाने की

मैं हस्ती अप्नी ख़ाक किए
तेरे प्रेम के कांटे चुनता हूँ

रातो को मैं सपने तेरे बुनता हूँ.........

4 comments:

deepti said...

nice yaar
well 4 sum 1 special!!!!!!

आलोक कुमार said...

खतरनाक प्रेम ....

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
Unknown said...

speachless...
u r d best...