प्रियतम, अब मरने वाला हूँ
कुछ बाते तो अब कर लो
बुझती आंखें ,रूकती साँसे
लेकिन बाहों में भर लो |
ह्रदय के स्पंद गिरे जब
मन को ऐसे बहलाना
एक हथेली सिर रख लेना
एक हथेली सहलाना |
जैसे-जैसे टूटे साँसे
तेरी साँसों की गूँज सुनू
फिर एक मिलन का स्वप्न बुनू ,और
नव-जीवन की आस करूं|
रुन्धती जाये आवाज़ मेरी
तब कानो में वे शब्द कहो
मरने में मुझको कष्ट ना हो
ऐसा संगीत निशब्द कहो |
अधरों को अधरों से अन्तिम
कुछ बाते अब कह लेने दो
सारा जीवन तरसा हूँ मैं
अब भावो को बह लेने दो |
जब गिर जाऊं चलते-चलते
तो झुकना मेरे सहारे को
माना मैं उठ नही पाऊंगा
पर रुकना अंत इशारे को |
जब मूंदू मैं अपनी आँखे
तेरे चेहरे को देख मरूँ
फिर से देखू इस चेहरे को
मन मे अन्तिम एक आस करूं |
5 comments:
nice poems. You are better than my imagination :) keep it up
क्या प्रवाह है…शब्दों और भावों में!!
waah bhai waah....
kya aage bhi likhenge kuchh ya bas !!
ashish.. lage raho...
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