काश प्रिये मेरी धड़कन को
अपने मन से सुन पाती तुम
काश प्रिये गीतों को मेरे
सांसों में अपनी बुन पाती तुम
काश प्रिये तुम मुझसे मुझतक
और मेरे अंतस में रहती
मुझपर बस अधिकार तुम्हारा
काश सदा तुम मुझसे कहती
काश तेरे कोमल हाथो को
हाथो में अपने ले सकता
और अगर ये हो सपनो में
काश और सपने ले सकता
काश कभी तुमसे कह पाता
कितना गहरा प्यार हमारा
एक इबादत तुमसे की है
कभी न होगा प्यार दोबारा
काश प्रिये इस दीवाने को
अपना साथी चुन पाती तुम
काश प्रिये मेरी धड़कन को
अपने मन से सुन पाती तुम
5 comments:
अपने मनोभावो को बहुत सुन्दर ढंग से पेश किया है।बधाई।
chal mujhe hindi likhna naji aata lekin....
poem sexy tha...
धन्यवाद परमजीत जी ।
acchi hai
aashish maine aapki do kavitain padhi main chodd chuka aur kash dono hi bahut saral shabdon main apna arth sarthak karti hain parantu dono ke bahvon main ek virodhabhas ki jhalak mil rahi hai.....aakhirkar aap dono main se kisne kise ditch maara
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