Wednesday, November 5, 2008

तुमसे प्यार करने लगा हूँ मै !

नही मै नही लिख सकता
क्या लिखूं ? कैसे लिखूं ?
अपने ही शब्दों में
आप उलझने लगा हूँ मै
हाँ! तुमसे प्यार करने लगा हूँ मै !

समझ नही आता की कैसे
अपनी सारी भावनाए
शब्दों में ढाल दूँ
और मन के सारे रंग
एक प्रष्ठ पर उतार दूँ...

पर हाँ , आजकल एक
अनजान सा चेहरा
कागज़ पर चितरने लगा हूँ मै
हाँ ! तुमसे प्यार करने लगा हूँ मै !

दिन रात बस यही सोचता हूँ
कि तुम मेरे बारे में
क्या सोचती होगी
या फ़िर ये कि
क्या तुम मेरे बारे में सोचती होगी ?
मन मेरा पर विचार तुम्हारे होते है
झील मेरे अंतस की है और
नीर तुम्हारे प्रेम का
और इसी की थाह को पाने
हाँ ! उतरने लगा हूँ मै!
हाँ ! तुमसे प्यार करने लगा हूँ मै !

जब पहली बार तुम्हे मैंने
कनखनी से हँसते देखा था
तब मुझे लगा शायद ये ज़िन्दगी
ऐसे ही हँसती होगी
और तबसे शायद रोज़
उसी मुसकान की राहे तकता हूँ

तेरी एक झलक को पाने
हाँ! तरसने लगा हूँ मै
हाँ ! तुमसे प्यार करने लगा हूँ मै !

कलम ये मेरी हठ करती है
कहती है न और लिखूंगी
और मेरे शब्दों को शायद
एक प्रेरणा बाँध चुकी है


कहता था न तुमसे
मत तारीफ़ करो तुम इनकी
तुम से तुम तक
शब्द मेरा, संगीत मेरा, गीत मेरे
झंकार मेरी और प्राण मेरे
इन संग ही बहने लगा हूँ मै
हाँ ! तुमसे प्यार करने लगा हूँ मै!

2 comments:

omi said...

awesome dude.......

Manan Bohra said...

"wen i first saw u laughing, mujhe laga shaayad lyf aise hi muskuraati hogi"--genius thinkin....dis was d line which made my opinion stronger dat i really luv her.....n dats d greatest achievement of a kavi.....
paliwal, agar mujhe mera pyaar mil gya to dis will prove 2 be a vry imp. contribution ....thanxx mann...u r studdddddd...