लोग मुझे कवि समझते है... मेरी कविताए पढ़ते है तारीफे करते है...और कई बार पूछते भी है क्या सोचा ? कैसे लिखा ? कई बार तो यही सवाल वे लोग पूछते है जो मेरी प्रेरणाओं का हिस्सा होते है या फ़िर वे लोग जिनके लिए मै लिखा करता हूँ...
आज मन है कहने का, सो जवाब सुन लिजिये... दरअसल मै कवि नही चित्रकार हूँ...
बरसो पहले मेरे पिता ने मुझे कुछ रंग लाकर दिए और कहा की ये सात रंग काफी है... रंगते रहो | पर क्या रंगना है उन्होंने बताया ही नही | मै फर्श रंगने लगा, दीवारे रंगने लगा, अलमारी के किवाड़, घर का दरवाजा, जगह-जगह अपनी कलाकारी के निशान छोड़ दिए | पिताजी खूब हँसे, न गुस्सा किया...न डाटा | बस कहा की हमेशा इसी तरह अपनी और अपनों जिंदगियां रंगते रहना| और उसके लिए जो रंग चाहिए वो तुम्हारे मन में छुपे है... ढूंढ सको तो ढूंढ लो |
मै आज भी ढूंढ रहा हूँ|
जब भी कोई रंग मिलता है एक नयी तस्वीर बना लेता हूँ| उससे पहले की वो रंग गायब हो जाए वक्त के नाक-नक्श चितेर देता हूँ| अजीब बात तो तब हुई जब उम्र के एक नये पड़ाव ने मुझे एक नया रंग दिया.... लाल रंग| मैंने सोचा कि चलो प्यार की तस्वीर बनाए| मैंने रंग लिया और शुरू हो गया..... मै तो बस एक ज़रिया था... दरअसल मै कुछ बना भी नही रहा था... रंग को जैसे ढलना था वो अपने आप ढल रहा था...
मै ग़लत लकीर खीचता तो मिट जाती | सही लकीर अपने आप खिच जाती | रंग अपने आप फैलते सिमटते जा रहे थे |
अचानक मैंने अपने आप से पूछा क्या प्यार की इतनी खूसूरत आँखे होती है ? क्या प्यार इतना सुंदर होता है...मेरे सामने एक अनजान सी तस्वीर उभर आई | प्यार की वो तस्वीर जिससे मुझे प्यार हो गया| और इस एक तस्वीर ने मुझे जाने कितनी कविताए दी है...
कितना अजीब है... एक अनजान सी छवि आती है और मेरे हर शब्द को प्रेरणा मिल जाती है....अब तो जिन्दगी भी सुंदर कविता लगने लगी है | मन करता है कि इन्ही सात रंगों से हमारा मिलन बुन दूँ |
अब शायद सात रंगों के नाम भी जानता हूँ ..... और वो नाम मेरी स्याही तुम्हे बता चुकी है...
5 comments:
बहुत बढ़िया..यूँ ही रंग बिरंगे बने रहिये और लिखते रहें.
मन कलम ,दर्द स्याही, चित्र उकेरा, जीवन मेरा....
आपकी अंतिम पंक्तियों से मुझे अपनी एक पुरानी रचना याद आ गयी. :)
http://vikashkablog.blogspot.com/2008/02/blog-post_23.html
सच कहूँ तो इस पोस्ट में ऐसी कई चीजें हैं, जो मुझे बहुत पसंद आयीं.
"मै ग़लत लकीर खीचता तो मिट जाती | सही लकीर अपने आप खिच जाती |"
गहरी बात कह गये. बहुत सुंदर
kitna sundar.. jaise jeevan mai ek naya rang mila diya....
''LAAL RANG'' jab jeeven mein dhalta hain..na jaane kite saare aur rang liye chala aata hain...isiliye jeene ke liye yeh ek rang kaafi hoti hain...:)
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