मै तब भी इंतज़ार करता था
मै अब भी इंतज़ार करता हूं
कभी आसमान को देखता हूं
कभी पास खडी इमारतो को
कभी फ़ोन कान के पास रख
अभिनय किया करता हूं
फिर बार-बार सबसे नज़रे बचाकर
तुम्हारे घर को देखता हूं
कि अब
शायद अब तुम बाहर आओ
मै रोज़ आता हूं
सिर्फ़ तुम्हे देखने
मै तब भी इंतज़ार करता था
मै अब भी इंतज़ार करता हूं
2 comments:
आपके ११ नहीं बजे जनाब? इंतजार....!!!
Good one! Loved it..
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