Wednesday, September 26, 2007

मित्रता

धूप में किसी पेड की
छाया को कहते मित्रता,
ईश के हाथो बनी
काया को कहते मित्रता ||

ग़र निराशा आ भी जाए
मित्रता अवलम्ब है
बोझ ले विश्वास पर
यह वह अटल स्तम्भ है ||

स्वार्थ को जाने नही
वह भावना है मित्रता
मित्र के हर स्वप्न की
एक कामना है मित्रता ||

मरीचिका में सत्य का
दर्पन दिखा दे मित्रता
निश्वास में निर्वात में
कम्पन जग दे मित्रता ||

एक अजब संबंध है
एक धीरता है मित्रता,
हास्य से सींची हुई
गम्भीरता है मित्रता ||

ग़र कदम थकते कभी तो
मित्रता तो पास है,
जीत का विश्वास भर दे
एक अनूठी आस है ||

हर ख़ुशी के ओष्ठ पर
जो गीत वह है मित्रता,
प्रेम के सुर में ढला
संगीत ऐसी मित्रता ||

सांस जो रूकती कभी तो
दम अगर साहस भरे ,
हार की उम्मीद हो और
सच हो सपनो से परे,
हाथ थामे जीत का
विश्वास देगी मित्रता
अपने ही सामर्थ्य तक
हर श्वास देगी मित्रता ||

ग़र कही इतना अनोखा
प्रेम मिल जाये कभी,
भूल कर भी खो ना देना
साकार ऐसी मित्रता ||

Friday, September 14, 2007

प्यास

इंतज़ार अब भी करता हूँ
मन की आस तुम आओगी
प्रेम हमेशा तुम से रहेगा
है एक प्यास तुम आओगी ........

पहला डाक

अभी तो सिर्फ शुरुआत है ...आगे आप इसपर बहुत कुछ पायेंगे ...देखते रहिए मेरा डगर प्रीत की :))